Gulabkothari's Blog

January 2, 2014

नववर्ष : इतिहास से सीखेंगे, भविष्य अच्छा होगा

इस बार हमारा नववर्ष सही अर्थो में नया होगा। हमने ही अपने हाथों से, नए जोश, विश्वास के साथ नई सरकारों के हाथों में अपना भविष्य सौंपा है। किया तो पिछले चुनाव में भी ऎसा ही था, किंतु हमारा आकलन सही नहीं बैठा। हमारे जाने-पहचाने चेहरों ने ही हमें पीछे ही नहीं धकेला, बल्कि नीचे भी गिरा दिया। स्वतंत्र प्रदेश में स्वच्छंदता का वातावरण बना दिया। पुलिस का भी ऎसा तांडव कभी नहीं देखा था। अफसरों के चश्मे बदल गए थे। विधायक, कई मंत्री भोगों में तथा भ्रष्टाचार में आकंठ डूब चुके थे। सरकार अपने पुत्रों का ध्यान रखने वाली बन बैठी थी। कई न्यायाधीश बेशर्मी के उदाहरण बन गए थे। जिन फैसलों का सरकार को स्वागत करना चाहिए था, उन्हीं के विरूद्ध, जनहित को नजरअंदाज करके, चुनौती देने ऊपर चली गई। भक्षक से रक्षा की उम्मीद संभव नहीं थी।

ऎसा नहीं है कि इस बार ऎसा नहीं होगा। मध्यप्रदेश तथा छत्तीसगढ़ में वातावरण लगभग पुराना ही रहने वाला है। खनन माफिया पहले से अधिक ताकतवर होगा। “बेटी बचाओ” की तर्ज पर हत्याएं, किसानों द्वारा आत्म-हत्याएं और बलात्कार पंख पसारते रहेंगे। सड़कों के गड्ढे, यातायात, गंदगी तो चाय के साथ बिस्कुट की तरह परोसे जाते रहेंगे। दोनों ही सरकारें तीसरी बार बनी हैं, अत: मोटी चमड़ी वाली ही साबित होंगी। हुक्मरानों के तेवर देखना, सत्ता के नशे को समझ जाओगे।

राजस्थान में बहुत कुछ नया होगा। नया संकल्प अपना कार्य करेगा अथवा पुराने सहयोगी फिर छा जाएंगे। यहां शासक महिला है, ऎसे में पूरे प्रदेश को इनके स्नेह का सुख तथा वात्सल्य मिल सकता है। यदि पहले की तरह चापलूसों से घिर गई तो “त्राहि-त्राहि” रह जाएगी। सरकार के लिए भले ही राजनीतिक मजबूरी हो। जैसा कि पिछले कार्यकाल में सुरेश सोनी तथा आडवाणी के आगे हुई थी।

नई सरकारें यदि इतिहास से सीख लेकर आगे चलती हैं, तो भविष्य अच्छा ही होगा। शासन का कार्य अच्छे कार्यो की प्रशंसा करना है, वहीं दण्ड के प्रावधानों को लागू करना भी है। भय बिन होत न प्रीत। लोकपाल विधेयक की भूमिका सामने आनी चाहिए। पुराने आपराधिक मामलों की भी समीक्षा होनी चाहिए। लोकतंत्र के तीनों पायों पर भी कानून समान रूप से लागू होता दिखाई देना चाहिए।

पिछले पांच वर्षो में पत्रिका की प्रसार संख्या लगभग दोगुना हो गई। उत्तरदायित्व भी इसी के अनुरूप बढ़े। सरकारों के अहंकारों के थपेड़े भी हम सहन कर रहे हैं। हमारे स्वतंत्र कार्य-कलापों के साथ यह भी स्वाभाविक अनिवार्यता है। किंतु हमारी चेतना जागृत इससे रहती है। इस पर सत्ता का नशा नहीं चढ़ता। हमारी आत्मा तो वैसे भी पाठकों की आत्मा का ही अंश है। अत: हमारी किसी से स्पर्द्धा नहीं है। हमें अपने पाठकों पर भरोसा है। हम किसी को भी छोटा या बड़ा नहीं कर सकते। सबका अपना भाग्य होता है। उसे बदलने की शक्ति ईश्वर ने हमको नहीं दी। हम अपने कार्य से, अपनी लकीर बड़ी करते हैं। दूसरों की दूसरे जानें। यही जनता का विश्वास जीतने का मार्ग है।

इस बार नववर्ष में युवा जोश में है। यह परिवर्तन उसी का दिया हुआ है। हमें युवा के संकल्प का साथ देना है। आस्था के साथ नए प्रदेश को आकार देंगे। कांटें बुहारेंगे, फूल बिखेरेंगे। अच्छे कार्यो में सरकार का तहेदिल से साथ देंगे। मंत्रियों के फैसलों पर नजर रखेंगे। सूचना के अधिकार का साल में कम से कम दो बार उपयोग अवश्य करेंगे। प्रत्येक अनुभवी वकील भी साल में एक जनहित याचिका अवश्य लगाएगा। पत्रिका साथ-साथ रहेगा। अपनी मूल्यपरक पत्रकारिता के साथ। हमको पाठक जिस प्रकार ऊपर उठाए जा रहा है, उसके लिए हम कृतज्ञ हैं। हमें उम्मीद करनी चाहिए कि सरकारें भी अगले पांच वर्षो में अपने विश्वास का वादा निभाएंगी। सबके लिए नया साल उत्सव बन जाए।

आने वाला साल लोकतंत्र को पुनर्जीवित करेगा। सम्पूर्ण यूथ अपने सपनों को साकार होते देखना चाहेगा। उसे अभी से छोटी-छोटी टोलियां बना लेनी चाहिए। गांव-मौहल्ले से लेकर प्रदेश भर की गतिविधियों पर नजर रखनी है। कुछ मंत्री तो जाने-पहचाने हैं, जो भ्रष्टाचार में भी माहिर हैं। उनको निपटाना भी है। हमेशा की तरह इस बार भी विपक्ष का कार्य पत्रिका को ही करना है। और पत्रिका पाठकों का ही प्रतिबिम्ब है। पिछली सरकारों के भी बहुत से मुद्दे सामने आएंगे। सबको सार्वजनिक तो करना ही है। न्यायालय चाहे तो प्रसंज्ञान ले, चाहे तो नहीं ले। कम से कम अगली बार तो जीतकर नहीं आएंगे। तब आओ, नववर्ष का संकल्प करें कि लोकतंत्र को पुनर्जीवित करेंगे, भ्रष्टाचार मिटाएंगे, और नए भविष्य का निर्माण करेंगे।

-गुलाब कोठारी

2 Comments »

  1. आपकी इस ब्लॉग-प्रस्तुति को हिंदी ब्लॉगजगत की सर्वश्रेष्ठ कड़ियाँ (2 जनवरी, 2014) में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,,सादर …. आभार।।

    कृपया “ब्लॉग – चिठ्ठा” के फेसबुक पेज को भी लाइक करें :- ब्लॉग – चिठ्ठा

    Comment by Blog Chiththa — January 3, 2014 @ 7:00 | Reply


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